Среди талибов, напавших на Дарваз, были и боевики из Таджикистана (ВИДЕО)
Доктор Латиф Пидрам, поэт, политик и один из лидеров таджиков Афганистана опубликовал на своей странице в Фейсбуке пропагандистский ролик о нападении боевиков движения Талибан на Маймийскую волость в Дарвазском регионе Бадахшанской области на северо- востоке Афганистана вблизи таджикско-афганской границы. Доктор Пидрам сообщил, что среди талибов, напавших на Дарваз, было очень много таджиков, в том числе уроженцев Таджикистана. Он привел имена двух из таджикистанцев, которые воюют под знаменем Талибан:
- «Закария» – настоящее имя: Гадоев Басинбой, уроженец района Спитамен Согдийской области на севере Таджикистана.
- «Юнус» – настоящее имя: Абдулбосит Вохидов, уроженец района Рудаки под городом Душанбе.
На опубликованном видео слышно, как некоторые боевики разговаривают на диалекте таджиков Таджикистана. Один из них называет солдат и офицеров правительственных сил Афганистана «кафирами» и радуется, когда боевики убили одного из них. На видео также видно, как после захвата Маймия талибы захватили и большое количество оружия, подожгли правительственные здания и празднуют свою победу.
Талибы нападали на Маймий в конце ноября.
Умед Джайхони, таджикский исследователь, перепостивший пост доктора Пидрама, написал, что «этим хотел подчеркнуть то, что мы, таджики, готовы поддержать любую идеологию и последовать за ней, кроме национальной идеи и национальной идеологии».
Толибоне, ки бар Моймай дар Дарвоз тохт оварданд, тоҷик буданд. Дар миёнашон ду шаҳрванди Тоҷикистон ҳам ҳаст, ки яке Гадоев Басинбой аз ноҳияи Спитамен аст, ки худро Закариё номида ва дигаре Воҳидов Абдулбосит аз ноҳияи Рӯдакӣ аст, ки худро Юнус хондааст.
Бо нашри ин навор ин нуктаро мехоҳам барҷаста кунам, ки мо тоҷикҳо омодаем аз ҳаргуна андешаву идеулужие пайравиву пуштибонӣ кунем, ҷуз аз андешаи миллӣ ва идеулужии миллатгароӣ.
https://www.facebook.com/groups/turanica/permalink/3620599874691859DDr. Latif Pedram
یکیداستانیست پرآب چشم(تاجیک نباید تاجیک را بکشد)
در حملهی طالبان به ولسوالی دروازبالا بیشتر از بیستتن از باشندهگان آن ولسوالی،به صورت بیرحمانهی تیرباران شدند.همهی این کشتهشدهگان تاجیک بودند طالبان هم تاجیک بودند، اما متاسفانه در پیشاپیش اینگروه حملهکننده به ولسوالی چند تن از تاجیکهای جمهوری تاجیکستان هم قرار داشتند:۱- ذکریا( نام اصلی گدایوف بسینبای، از ناحیه سپتامن ولایت سغد)۲-یونس(نام اصلی عبدالباسط واحدوف،از ناحیه رودکی شهر دوشنبه تاجیکستان) و چند تن دیگر.البته اینها مخالف دولت تاجیکستان و همرزم با گروه طالبان در دروازها هستند.ولسوالی مایمی زادگاه من است من فلم جنگ مایمی را تماشا کردم برای من کشتن تاجیک به دست تاجیک و آن هم تاجیک آمده از یک سرزمین دیگر جانگداز و جگرسوز بود.اگر این عده از تاجیکان به هر دلیلی نمیتوانند آغوش محبت و برادری به سوی ما باز کنند نباید دست به قتل و کشتار ما بزنند. نیز ناگفته نگذارم که به لحاظ شرعی و حقوقبشری کسی را که دست به علامت تسلیم بلند میکند نباید کشت،میشود او را اسیر گرفت و اسرا هم حق و حقوق انسانی دارند.چیزی که در این جنگ رعایت نشده است.در عین حال مطلع شدم که یونس ارسلان(واحدوف عبدالباسط)،مهدی(محمدوف دوستمحمد)و خذیفه(ایلمرادوف دلیر)اتباع تاجیکستانی مخالف دولت تاجیکستان یعنی همان همرزمان طالبان دروازی ما با دخترانی از خانوادههای امام جان،ظاهر و یا بشیر و عبدل از اهالی قریه خوغذ ولسوالی نسی ولایت بدخشان افغانستان ازدواج هم کردهاند.میبایست این تاجیک های تاجیکستانی پاس خویشاوندی را میدانستند و دست به کشتار بیرحمانهی همتباران دروازی تاجیک خود در ولسوالی مایمی نمیزدند.من این عمل وحشیانهی تاجیکهای آمده از جمهوری تاجیکستان را با شدید ترین الفاظ محکوم و تقبیح میکنم.همچنان ضمن تقبیح کل این عمل ناسنجیده و نادرست در مایمی، به طالبان دروازها هشدار میدهم که سنجیده عمل کنند.آن چه در این فلم دیدم نه دیندارانه بود و نه از جنس جنگ آزادی بخش؛وحشت در وحشت بود.شما چه گونه بر یک بیگانه ولو همتبار و همخون اجازه میدهید همسایه شما را در ده و قریه تان اینگونه فجیع به قتل برساند.من صدای آمرانهی آن تاجیک های آن سوی آمودریا را شنیدم که میگفتند بزنید و بکشید…این صدا ها جگرخراش بود و توجیهناپذیر.اگر کشتی به دست خود کفن کن/به دست مردم بیگانه مسپار!لطیفپدرامabout:blankFacebook URL
Embedded content from facebook.com can’t be previewed in the editor.